पत्रकारिता की आचार सहिंता के अन्य महत्वपूर्ण पहलु
(Journalism's Code of Conduct in Hindi)
सांप्रदायिक विवादों / संघर्षों के समाचारः
i) सांप्रदायिक या धार्मिक विवादों / संघर्षों से संबंधित समाचारों, विचारों अथवा टीकाओं का प्रकाशन तथ्यों के यथोचित सत्यापन के बाद किया जाएगा और उचित सावधानी तथा संयम के साथ उन्हें इस प्रकार प्रस्तुत किया जायेगा कि सांप्रदायिक सामंजस्य, मैत्री तथा शांति के अनुकूल वातावरण बनाने में सहायता मिले। सनसनीखेज, भड़काने वाले तथा भयप्रद शर्षिक न दिए जाएँ। सांप्रदायिक हिंसा तथा बर्बरता की घटनाओं को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाएगा कि राज्य के कानून तथा व्यवस्था तंत्र में लोगों का भरोसा कम न हो । सांप्रदायिक दंगो में पीड़ितों के समुदाय वार आंकड़े नहीं दिए जाएंगे और न ही घटना के बारे में इस प्रकार लिखा जाएगा जिससे भावनाओं के भड़कने, तनाव के बढ़ने या संबंधित सांप्रदायिक/धार्मिक समूहों के बीच मनोमालिन्य बढ़ने की संभावना हो अथवा जिससे परेशानी बढ़ सकती हो।
ii) पत्रकारों तथा स्तंभकारों का अपने देश के प्रति एक अति विशिष्ट उत्तरदायित्व है कि सांप्रदायिक शांति और सद्भाव को प्रोत्साहित करें। उनके लेख केवल उनके अपने विचारों की अभिव्यक्ति नहीं होते, बल्कि सामान्य समाज के चिंतन तथा भावनाओं को निरूपित करने में भी बहुत मदद करते हैं। अतः यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे अपनी लेखनी का प्रयोग सतर्कता और संयम के साथ करें।
iii) ऐसी स्थितियों (गुजरात हत्याकांड / संकट) में मीडिया की भूमिका शांति स्थापित करने की होनी चाहिए न कि भड़काने की, परेशानी दूर करने की न कि फैलाने की । गुजरात के वर्तमान संकट में मीडिया को लोगों के बीच शांति और सामंजस्य स्थापित करने की अपनी उदात्त भूमिका निभाने दें। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उसे बाधित करने का कोई भी प्रयास राष्ट्र-विरोधी कार्य होगा। मीडिया पर राष्ट्रीय एकता का निर्माण और सभी स्तरों पर सांप्रदायिक सामंजस्य स्थापित करने के लिए अपना पूरा प्रयास करने का भारी नैतिक उत्तरदायित्व है। इस संबंध में स्वतंत्रता से पूर्व निभाई गई उनकी भव्य भूमिका स्मरणीय
iv) कल के इतिहास के इतिवृत्त के रूप में, मीडिया का भविष्य के प्रति यह सुस्पष्ट कर्तव्य है कि घटनाओं को सरल और वास्तविक तथ्यों के रूप में दर्ज करे। घटनाओं का विश्लषण और उन पर राय बिल्कुल भिन्न बातें हैं। अतः इन दोनों के साथ व्यवहार भी भिन्न होगा। संकट के समय, यथोचित सावधानी और संयम के साथ तथ्यों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करने पर सामान्यतः लोकतंत्र में कोई आपत्ति नहीं की जा सकती परंतु, मत- लेख लिखने वालों पर भारी उत्तरदायित्व आता है। लेखक को सुनिश्चित करना होता है कि उसके विश्लेषण न केवल निजी मान्यताओं, पूर्वग्रहों या धारणाओं से मुक्त हों, बल्कि व सत्यापित, सही और प्रभावित तथ्यों पर भी आधारित हों और जातियों, समुदायों या पंथों के बीच कोई वैमनस्य या शत्रुता पैदा नहीं करेंगे।
v) जहाँ सांप्रदायिक बंधनों को तोड़ने में और सौहार्द तथा राष्ट्रीय हित को बढ़ावा देने में मीडिया के दायित्व एवं भूमिका को दुर्बल नहीं बनाना चाहिए वहीं नागरिकों को बोलने की स्वतंत्रता देना भी अत्यावश्यक है। भारतीय प्रेस को अनिवार्य रूप से दोनों को परखना और उनमें संतुलन करना चाहिए।
सार्वजनिक व्यक्तियों की आलोचना / संगीत समीक्षाएँ
i) सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुत होने वाला अभिनेता या गायक अपनी कला को जनता के सामने निर्णय के लिए रखता है, अतः समालोचकों की ऐसी टिप्पणियों को मानहानिकारक नहीं माना जा सकता जो कलाकारों की निष्पादकता के लगभग अनुरूप हों । तथापि आलोचकों को ऐसी कोई बात नहीं लिखनी चाहिए जिसे परोक्ष रूप से कलाकार की व्यक्तिगत विश्वसनीयता पर आक्षेप माना जा सके।
ii) कोई भी लेखक पुस्तकों की आलोचनात्मक समीक्षा पर प्रश्न नहीं कर सकता है, बशर्ते वह दुर्भावना से प्रेरित न हो, क्योंकि कुछ संपादकों तथा विद्वानों द्वारा उस पुस्तक की प्रशंसा की गई, इसका यह अर्थ नहीं होगा कि अन्य समीक्षकों को उनके विरूद्ध विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं होगा।
iii) ) समालोचना लेखक के विचार के लिए आवश्यक है। समालोचना से सीधे संबद्ध पुस्तक से व्यापक पुनरभिव्यक्ति को कापीराइट का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है।
विदेश संबंध
जनमत तैयार करने और देशों के बीच बेहतर सद्भाव विकसित करने में मीडिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अतः वस्तुनिष्ठ रिपोर्टिंग अपेक्षित है जिससे मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के लिए कोई खतरा पैदा न हो।
कपटपूर्ण गतिविधियाँ
ग्राहकों से चंदा लेने के बाद प्रकाशन को बंद कर के जनता को धोखा देना पत्र / पत्रिका के प्रबंधन की ओर से अनैतिक व्यवहार है। यदि बंद करना अपरिहार्य हो तो चंदे की शेष राशि ग्राहकों को लौटा दी जाए।
लिंग आधारित समाचार
प्रेस को लिंग आधारित सदियों पुरानी बुराई को मिटाने के लिये अहम भूमिका निभानी चाहिए और एक पक्षीय विवरण वाले समाचारों से यह बुराई सामाजिक संतुलन एवं विकास को बाधित करती रहेगी ।
सामाजिक कुरीतियों को महिमान्वित / प्रोत्साहित न किया जाए
समाचारपत्र अपने स्तंभों का दुरूपयोग ऐसे लेखों के लिए नहीं होने देंगे जिनमें सती प्रथा अथवा आडंबरपूर्ण आयोजनों जैसी सामाजिक कुरीतियों को प्रोत्साहित या महिमान्वित करने की प्रवृत्ति हो ।
पत्रकारिता और सुर्खियां :
i)
क. उत्तेजक तथा सनसनीखेज़ शीर्षक न दिए जाएँ,
ख. शीर्षक उनके नीचे मुद्रित सामग्री को प्रतिबिंबित करें और उसके लिए युक्तिसंगत हों,
ग. यदि शीर्षक में किसी के द्वारा अपने वक्तव्य में लगाए गए आरोप शामिल हों तो आरोप लगाने वाले व्यक्ति या स्रोत का उल्लेख किया जाए या कम-से-कम उद्धरण चिह्न लगा दिए जाएँ।
ii) किसी लेख / समाचार के शीर्षक या समाचार में किसी व्यक्ति के कार्य विशेष की झलक मिलती है । समाचारपत्र को शीर्ष / शीर्ष रेखा का चयन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनसे समाचार की विषय वस्तु की झलक मिले।
एचआईवी / एड्स और मीडिया - कर्तव्य और निषेध
कर्तव्य
i) मीडिया को चाहिए कि लोगों को सूचित और शिक्षित करे, न कि भयभीत या आतंकित ।
ii) वस्तुनिष्ठ, तथ्यपरक और संवेदनशील बनिए
iii) तेजी से बढ़ रहे संक्रमण की बदलती हुई वास्तविकताओं से अवगत रहिए।
vi) उपयुक्त भाषा तथा शब्दावली का प्रयोग करिए जो कलंक लगाने वाली न हो ।
v) सुनिश्चित करिए कि शीर्षपंक्ति सही और संतुलित हो ।
vi) उत्तरदायी बनिए; एचआईवी / एड्स के साथ जी रहे लोगों (पीएलएच आईवी) की आवाज़ का प्रयोग करके तस्वीर के सभी पहलू प्रस्तुत करिए ।
vii) निवारण और संचरण के बारे में भ्रांतियों को दूर करिए ।
viii) चमत्कारी इलाज और संक्रमण से बचने के अवैज्ञानिक दावों के बारे में काल्पनिक मान्यताओं का असली रूप दिखाइए ।
ix) मुद्दे की गंभीरता को कम न करते हुए सकारात्मक कथाओं को उजागर करें।
x) संक्रमित लोगों, उनके परिवारों और साथियों की गोपनीयता बनाए रखिए।
(xi) सुनिश्चित करें कि चित्रों से उनकी गोपनीयता प्रकट न हों ।
xii) सुनिश्चित करें कि चित्रों के शीर्षक यथार्थ हों ।
xiii) लिंग संवेदी रिपोर्टिंग सुनिश्चित करें और घिसी-पीटी बातों से बचें।
(xiv) डाटा प्राधिकृत स्त्रोतों से लें क्योंकि गलत रिपोर्टों का मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कलंक बढ़ता है।
XV) पत्रकार यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी हैं कि जिनसे भेंटवार्ता की जा रही है वे प्रकट होने / पहचान के प्रभावों को समझते हैं।
xvi) सुविदित सहमति सुनिश्चित करें, जहां संभव हो, लिखित रूप में।
xvii) एचआईवी - संबंधित आत्महत्या या भेद-भाव की घटनाओं जैसी नकारात्मक कथाओं की कवरेज को संतुलित करने के लिए हेल्पलाइनों / परामर्श केंद्रों के संपर्कों को शामिल कर लें।
xviii) आर्थिक, व्यावसायिक, राजनीतिक और विकास के मुद्दों पर संक्रमण के प्रभाव की जाँच के लिए रिपोर्ट को व्यापक बनाएं।
xix) जब कभी शंका हो, स्पष्टीकरण के लिए पॉजिटिव लोगों के स्थानीय नेटवर्क या राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी या वर्तमान शब्दावली दिशानिर्देशों से संपर्क करें।
xx) सुनिश्चित करें कि प्रश्न बहुत निजी या अभियोगात्मक न हों
xxi) एचआईवी के साथ जी रहे लोगों को सकारात्मक रूप में दर्शाएँ, उन्हें 'पीड़ितों' के रूप में नहीं बल्कि व्यक्तियों के रूप में चित्रित करें।
निषेध
i) किस्से को सनसनीखेज़ न बनाएँ ।
ii)ऐसे निर्णय न लें जिन से पीएलएच आईवी पर दोष लगता हो
iii)संक्रमण का वर्णन करने के लिए 'अनर्थ' जैसे शब्दों का प्रयोग मत करें और न ही पीएलएचआईवी का वर्णन एड्स वाहक, वेश्या, व्यसनी, एड्स का रोगी / शिकार / पीड़ित के रूप में करें।
iv) इस बात पर अनावश्यक जोर न दें कि एचआईवी वाले व्यक्ति को संक्रमण कैसे हुआ।
v) एचआईवी और एड्स से संक्रमित तथा प्रभावित बच्चों की पहचान नाम या फोटो से न करें, सहमति से भी नहीं ।
vi) छिपे हुए कैमरों का प्रयोग न करें।
vii) बीमार तथा मरणासन्न की भयानक रिपोर्टों और छवियों से बचें जिनसे विषाद, बेबसी तथा अलगाव की भावना व्यक्त होती हो ।
viii) ग्राफिक्स के रूप में खोपड़ियों, आडी हड्डियों, साँपों या ऐसे दृश्यों का प्रयोग न करें।
ix) जाति लिंग या यौन स्थिति के संदर्भों से बचें।
x) यौन अल्पसंख्यकों के बारे में, समलिंगी, उभयलिंगी या ट्रान्सजेंडर (एलजीबीटी) सहित, घिसी-पीटी बातों को न दोहराएँ ।
xi) संक्रमित व्यक्तियों का चित्रण पीड़ितों दोषियों या दया के पात्रों के रूप में न करें।
xii) एचआईवी, एसटीआई, चर्म रोगों, तपेदिक तथा अन्य सांयोगिक संक्रमणों से संबंधित भ्रामक विज्ञापनों को प्रोत्साहित न करें।
X111) स्वैच्छिक परीक्षण के इच्छुक व्यक्तियों की गोपनीयता भंग न करें।
अवैध नकल
i) प्रेस किसी जब्त की गई पुस्तक से आपत्तिजनक अंश अथवा उद्धरण किसी भी रूप में प्रकाशित नहीं करेगा।
ii) समाचारपत्र द्वारा उस फोटोग्राफर को समुचित श्रेय दिया जाए जिसका फोटोग्राफ समाचारपत्र द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।
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