Daily Current Affairs 10 March | 10 March Current Affair in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

बुधवार, 10 मार्च 2021

Daily Current Affairs 10 March | 10 March Current Affair in Hindi

 Daily Current Affairs 10 March  
10 March Current Affair in Hindi

Daily Current Affairs 10 March   10 March Current Affair in Hindi


2030 डिजिटल कम्पास

यूरोपीय संघ ने 2030 डिजिटल कम्पासनाम से एक योजना का अनावरण किया है।

डिजिटल कम्पास योजना क्या है 

इस योजना के तहत यूरोपीय संघ ने इस दशक के अंत तक अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर के वैश्विक उत्पादन के तकरीबन 20 प्रतिशत अथवा पाँचवें हिस्से का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा योजना के तहत यूरोपीय संघ गैर-यूरोपीय प्रौद्योगिकियों पर अपनी निर्भरता में कटौती के प्रयासों द्वारा आगामी पाँच वर्षों में अपना पहला क्वांटम कंप्यूटर बनाएगा। इस योजना के माध्यम से सेमीकंडक्टर के महत्त्व को रेखांकित किया गया है, जिन्हें कनेक्टेड कारों, स्मार्टफोन, इंटरनेट से जुड़े उपकरणों, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में उपयोग किया जाता है और इनकी वैश्विक आपूर्ति में कमी के कारण विश्व भर में कार कारखाने बंद हो रहे हैं। इस योजना के तहत क्वांटम प्रौद्योगिकियों में निवेश की सिफारिश करते हुए स्पष्ट किया गया है कि यह प्रौद्योगिकी नई दवाओं को विकसित करने और जीनोम अनुक्रमण को गति देने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। यूरोपीय संघ की इस योजना में वर्ष 2030 तक 10,000 जलवायु-तटस्थ केंद्रों की स्थापना का आह्वान किया गया है, ताकि यूरोप में अपने स्वयं की क्लाउड अवसंरचना विकसित की जा सके और इसी अवधि में यूनिकॉर्न कंपनियों (1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियाँ) की संख्या को दोगुना किया जा सके।

 

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के बारे में CISF Kya Hai

प्रधानमंत्री ने 10 मार्च, 2021 को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के स्थापना दिवस पर सुरक्षा बल की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रगति में उसके महत्त्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल 10 मार्च, 1969 को मात्र तीन बटालियनों के साथ अस्तित्व में आया था और इसका प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करना था, जो कि उस समय देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते थे। वर्तमान में CISF के तहत 12 रिज़र्व बटालियन शामिल हैं। CISF के तहत कुल कर्मियों की संख्या 1,40,000 से भी अधिक है। 

CISF का कार्य 

CISF देश भर में स्थित औद्योगिक इकाइयों, सरकारी अवसंरचना परियोजनाओं तथा अन्य प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है। इनमें परमाणु ऊर्जा संयंत्र, खदान, ऑयल फील्ड और रिफाइनरियाँ, हवाई अड्डे, समुद्री बंदरगाह, बिजली संयंत्र, दिल्ली मेट्रो तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि शामिल हैं। नवंबर 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद से CISF के कार्यों को और अधिक बढ़ा दिया गया है, जिससे अब यह निजी क्षेत्र को भी प्रत्यक्ष तौर पर सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

 

उडुपी रामचंद्र राव

10 मार्च, 2021 को गूगल ने प्रसिद्ध भारतीय प्रोफेसर और वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव के 89वें जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें डूडलके माध्यम से श्रद्धांजलि दी। उडुपी रामचंद्र राव जो कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष थे, ने वर्ष 1975 में भारत के प्रथम उपग्रह- आर्यभट्ट के प्रक्षेपण का पर्यवेक्षण किया था। यही कारण है कि प्रायः उडुपी राव को भारत का सैटेलाइट मैनभी कहा जाता है। 10 मार्च, 1932 को कर्नाटक के एक सुदूर गाँव में जन्मे प्रो. राव ने अपना कॅरियर कॉस्मिक-रे भौतिकशास्त्री के रूप में शुरू किया था। डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रो. राव अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने प्रोफेसर के रूप में काम किया, इसके अलावा अमेरिका में उन्होंने नासा के कार्यक्रमों पर भी कार्य किया। वर्ष 1966 में भारत लौटने पर प्रो. राव ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) में एक व्यापक खगोल विज्ञान कार्यक्रम शुरू किया तथा उन्हीं के पर्यवेक्षण में वर्ष 1972 में भारत के पहले उपग्रह कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अतिरिक्त वर्ष 1984 से वर्ष 1994 के बीच प्रो. राव ने इसरो के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

 

वन चिकित्सा केंद्र

हाल ही में उत्तराखंड के रानीखेत में देश के पहले वन चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया गया है। यह वन चिकित्सा केंद्र का विकास उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा वनों के उपचारात्मक गुणों और समग्र स्वास्थ्य एवं कल्याण पर उसके प्रभाव को लेकर किये गए व्यापक शोध के बाद किया गया है। यह केंद्र लगभग 13 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। उत्तराखंड का यह केंद्र प्राचीन भारतीय परंपरा और वन चिकित्सा के लिये जापान की फॉरेस्ट बाथिंग’ (शिन्रिन-योकु) तकनीक पर आधारित है। इस केंद्र के कार्यों में वन वॉकिंग, ट्री-हगिंग और फॉरेस्ट मेडिटेशन जैसी कई गतिविधियाँ शामिल हैं। ज्ञात हो कि कई अध्ययनों में पाया गया है, पेड़ों के विशिष्ट आणविक कंपन पैटर्न के प्रभावस्वरूप ट्री-हगिंग के कारण ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे सुखद प्रभाव उत्पन्न होता है। आइसलैंड जैसे देशों में वन विभाग द्वारा स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य के लिये इस प्रकार की गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने की कोशिश की जा रही है।

इक्विन हर्पीस वायरस

हाल ही में यूरोप में घोड़ों में इक्विन हर्पीस वायरस (EHV-1) का प्रकोप पाया गया है। 

अब तक सात देशों में EHV-1 मामलों की पुष्टि हुई है: स्पेन, बेल्जियम, फ्राँस, जर्मनी, इटली, स्वीडन और कतर।

इक्विन हर्पीस वायरस एक सामान्य DNA वायरस है जो दुनिया भर में घोड़ों की आबादी के बीच उत्पन्न होता है।

EHV वायरस का एक परिवार है जिसे EHV- 1, 2, 3, 4 और 5 जैसी संख्याओं से संदर्भित किया जाता है।

इस वायरस परिवार में और भी वायरस हैं, परंतु EHV-1, 3 और 4 घरेलू घोड़ों के लिये सबसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम के रूप में सामने आते हैं।


स्वास्थ्य संबंधी जोखिम:

 

EHV-1 साँस की बीमारी, गर्भपात और नवजात मृत्यु सहित घोड़ों में विभिन्न रोगों की उत्पत्ति का कारण बन सकता है।

यह तनाव, न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ भी पैदा कर सकता है, जिससे लकवा और कुछ मामलों में मौत हो सकती है। घोड़े जो इस वायरस से संक्रमित होते हैं, उनमें संतुलन की कमी, कमज़ोरी, भूख की कमी और खड़े होने में असमर्थता जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं।


EHV-1 वायरस का प्रसार: 

यह संक्रामक है और श्वसन पथ द्वारा नाक से स्राव के माध्यम से घोड़ों में आपसी संपर्क से फैलता है।

यह वायरस अप्रत्यक्ष रूप से उन भौतिक वस्तुओं के संपर्क में आने से भी फैल सकता है जो वायरस के कारण प्रदूषित होती हैं।

इक्विन हर्पीस वायरस मायलोएन्सेफैलोपैथी (EHM) इक्विन हर्पीस वायरस (EHV) संक्रमण से जुड़े न्यूरोलॉजिक रोग का दूसरा नाम है।

 

सावधानियाँ और उपचार:

 

चूँकि संक्रमण की उच्च संचरण दर होती है, इसलिये रोगग्रस्त घोड़े को अलग-थलग रखना आवश्यक है।

इसके उपचार के लिये एंटी-इनफ्लेमेटरी दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्का

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री को कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट (Cambridge Energy Research Associate- CERA) द्वारा वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार (Global Energy and Environment Leadership Award) से सम्मानित किया गया है। 

भारत के प्रधानमंत्री को यह पुरस्कार देश और दुनिया की भावी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने हेतु सतत् विकास के विस्तार की उनकी प्रतिबद्धता के लिये दिया गया।

उन्होंने सेरावीक (CERAWeek) सम्मेलन को संबोधित किया और इस दौरान भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को हल करने तथा स्वच्छ ईंधन की प्राप्ति हेतु उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला।

सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार के विषय में: 

इस पुरस्कार को दिये जाने की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी।

यह पुरस्कार वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के भविष्यष के प्रति समर्पित नेतृत्व का सम्मान करने के लिये दिया जाता है।


कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट: 

यह संयुक्त राज्य की ऊर्जा बाज़ारों, भू-राजनीति, उद्योग के रुझान, निजी कंपनियों आदि को सलाह देने ले लिये एक परामर्श कंपनी है।


सेरावीक क्या है 

 सेरावीक की स्थापना वर्ष 1983 में डॉ. डेनियल येरगिन (Dr. Daniel Yergin) ने की थी।

यह एक वार्षिक ऊर्जा सम्मेलन है, जिसका आयोजन वर्ष 1983 से ह्यूस्टन (Houston- USA) में किया जा रहा है।

IHS मार्किट (लंदन स्थित वैश्विक सूचना प्रदाता) का सेरावीक दुनिया का प्रमुख ऊर्जा कार्यक्रम बन गया है, जिसमें भाग लेने के लिये ऊर्जा उद्योग के प्रमुख, विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी, नीति निर्माता आदि आते हैं।

सेरावीक- 2021 का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा 1-5 मार्च, 2021 तक किया गया था।

थीम: इस वर्ष सेरावीक की थीम द न्यू मैप: एनर्जी, क्लाइमेट, एंड द चार्टिंग द फ्यूचर (The New Map: Energy, Climate, and Charting the Future) थी।

INSTC कॉरिडोर और चाबहार बंदरगाह

भारत ने चाबहार बंदरगाह को 13 देशों के अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर’ (INSTC) में शामिल करने की मंशा व्यक्त की है और मैरीटाइम इंडिया समिटके दौरान चाबहार दिवस समारोह में INSTC सदस्यता का विस्तार करने के लिये अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से इसमें शामिल होने का आग्रह किया गया। 

इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान, आर्मेनिया, ईरान, कज़ाखस्तान, रूस और उज़्बेकिस्तान के अवसंरचना क्षेत्र से संबंधित मंत्रियों सहित कई क्षेत्रीय अधिकारियों ने भाग लिया।


भारत का प्रस्ताव: 

INSTC जो कि ईरान के सबसे बड़े बंदरगाह बंदर अब्बास से होकर गुज़रता है, में चाबहार बंदरगाह  को शामिल करने का  प्रस्ताव भारत ने रखा है तथा कहा है कि काबुल (अफगानिस्तान) और ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में भूमि मार्ग के माध्यम से INSTC के "पूर्वी गलियारे" का निर्माण होगा।

चाबहार को INSTC में शामिल करने के लिये भारत का यह प्रस्ताव, अमेरिका द्वारा संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (Joint Comprehensive Plan Of Action-JCPOA) परमाणु समझौते पर ईरान के साथ वार्ता की स्थिति बहाल करने और कुछ प्रतिबंधों में संभावित ढील को ध्यान में रखकर भी दिया गया है।

अफगानिस्तान के माध्यम से एक पूर्वी गलियारे की स्थापना इसकी क्षमता में वृद्धि करेगी।

भारत ने अफगानिस्तान और ईरान को मानवीय सहायता, आपातकालीन आपूर्ति और व्यापार के अवसरों में वृद्धि करने के मामले में हाल के वर्षों में चाबहार की भूमिका पर प्रकाश डाला।

चाबहार बंदरगाह: 

अवस्थिति:

यह ओमान की खाड़ी पर स्थित है और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से केवल 72 किमी. दूर है, जिसे चीन द्वारा विकसित किया गया है।

यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी हिंद महासागर तक सीधी पहुँच है और इसमें दो अलग-अलग बंदरगाह हैं- जिनका नाम शाहिद बेहिश्ती और शाहिद कलंतरी है।

अफगानिस्तान, ईरान और भारत ने चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और वर्ष 2016 में एक त्रिपक्षीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिये त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।

महत्त्व: 

भारत के संदर्भ में:

संपर्क:

यह भारत की अफगानिस्तान और मध्य एशियाई राज्यों से कनेक्टिविटी बढ़ाने की एक महत्त्वपूर्ण योजना है।

चीन और पाकिस्तान को प्रत्युत्तर:

यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार के लिये एक स्थायी वैकल्पिक मार्ग खोलता है, क्योंकि पाकिस्तान मुख्य मार्ग में बाधाएँ उत्पन्न करता है।

चीन और पाकिस्तान चीन पाक आर्थिक गलियारे’ (CPEC) तथा ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से आर्थिक एवं व्यापार सहयोग बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, पाकिस्तान चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) का भी हिस्सा है।

इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक भाग: चाबहार बंदरगाह भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति का एक प्रमुख भाग है जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र के साथ यूरेशिया भी शामिल है।

अफगानिस्तान के संदर्भ में:

यह बुनियादी ढाँचे और शिक्षा परियोजनाओं के माध्यम से अफगानिस्तान के विकास में भारत की भूमिका को सुविधाजनक बनाएगा।

मध्य एशियाई देशों के संदर्भ में:

मध्य एशियाई देश जैसे- कज़ाखस्तान, उज़्बेकिस्तान भी चाबहार बंदरगाह को हिंद महासागर क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में देखते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC): 

यह सदस्य देशों के बीच परिवहन सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ईरान, रूस और भारत द्वारा सेंट पीटर्सबर्ग में 12 सितंबर, 2000 को स्थापित एक बहु-मॉडल परिवहन परियोजना है।

INSTC में ग्यारह नए सदस्यों को शामिल करने के लिये इसका विस्तार किया गया - अज़रबैजान गणराज्य, आर्मेनिया गणराज्य, कज़ाखस्तान गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्की गणराज्य, यूक्रेन गणराज्य, बेलारूस गणराज्य, ओमान, सीरिया और बुल्गारिया (पर्यवेक्षक)।

यह माल परिवहन के लिये जहाज़, रेल और सड़क मार्ग के 7,200 किलोमीटर लंबे मल्टी-मोड नेटवर्क को लागू करता है, जिसका उद्देश्य भारत और रूस के बीच परिवहन लागत को लगभग 30% कम करना तथा पारगमन समय को 40 दिनों के आधे से अधिक कम करना है।

यह कॉरिडोर इस्लामिक गणराज्य ईरान के माध्यम से हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है तथा रूसी संघ के माध्यम से सेंट पीटर्सबर्ग एवं उत्तरी यूरोप से जुड़ा हुआ है।


भुगतान प्रणालियों हेतु न्यू अम्ब्रेला एंटिटी

निजी कंपनियों ने भुगतान प्रणालियों हेतु न्यू अम्ब्रेला एंटिटीज़’ (New Umbrella Entities- NUEs) की स्थापना में रुचि दिखाई है। उल्लेखनीय है कि न्यू अम्ब्रेला एंटिटी की अवधारणा भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) द्वारा प्रस्तुत की गई है। 

इसका उद्देश्य भारत के मौजूदा राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India- NPCI) हेतु एक वैकल्पिक तंत्र विकसित करना है।


 न्यू अम्ब्रेला एंटिटी’ (NUEs):

 NUEs एक गैर-लाभकारी इकाई होगी जो स्थापित नई भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन और संचालन करेगी, विशेष रूप से खुदरा क्षेत्र में जिसमें एटीएम (ATMs), व्हाइट-लेबल पीओएस (white-label PoS),  आधार-आधारित भुगतान (Aadhaar-Based Payments) और प्रेषण सेवाएंँ (Remittance Services) आदि शामिल हैं।


NUEs के तहत निर्धारित कार्य: 

NUEs द्वारा नई भुगतान विधियों, मानकों और प्रौद्योगिकियों को विकसित  किया जाएगा।

ये समाशोधन एवं निपटान तंत्रों ( Clearing and Settlement Systems) का संचालन  करेंगे, संबंधित जोखिम जैसे- निपटान, क्रेडिट, तरलता और संचालन आदि की पहचान कर उनका  प्रबंधन करेंगे तथा तंत्र में ईमानदारी बनाए रखने में सहायक होंगे।

ये देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुदरा भुगतान प्रणाली के विकास तथा संबंधित मुद्दों की निगरानी करेंगी ताकि उस नुकसान और धोखाधड़ी से बचा जा सके जो सिस्टम और अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।

NUEs की आवश्यकता: 

राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) की सीमाएँ: वर्तमान में खुदरा भुगतान प्रणाली प्रदान करने हेतु  NPCI एक अम्ब्रेला एंटिटी है, जो बैंकों के स्वामित्व वाली एक गैर-लाभकारी इकाई है।

NPCI निपटान प्रणाली द्वारा UPI, AEPS, RuPay, Fastag, आदि का संचालन किया जाता है।

NPCI जो कि भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों का प्रबंधन करने वाली एकमात्र इकाई है, में शामिल विभिन्न भुगतान माध्यमों द्वारा होने वाले  नुकसानों को इंगित किया गया है।

प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ाना: भुगतान प्रणाली हेतु अन्य संगठनों द्वारा अम्ब्रेला एंटिटी स्थापित करने की RBI की इस योजना का उद्देश्य इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धाी  परिदृश्य का विस्तार करना है।

विभिन्न संगठनों द्वारा NUE स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य डिज़िटल भुगतान क्षेत्र (Digital Payments Sector) में बड़ी हिस्सेदारी प्राप्त करना है।

NUEs से संबंधित ढाँचा: 

निवासियों का स्वामित्व तथा नियंत्रण : भारत में रह रहे नागरिकों के स्वामित्व और नियंत्रण वाली कंपनियाँ ही NUE के प्रमोटर या प्रमोटर ग्रुप के रूप में आवेदन हेतु पात्र होंगी। इसके अलावा इन्हें भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में 3 वर्ष  का अनुभव भी होना चाहिये।

शेयर होल्डिंग के तरीकों में विविधता होनी चाहिये। NUE द्वारा भुगतान की गई पूंजी का 25% से अधिक हिस्सा रखने वाली किसी भी इकाई को प्रमोटर माना जाएगा।

पूंजी: अम्ब्रेला एंटिटी के पास न्यूनतम 500 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी होगी।

किसी एकल प्रमोटर या प्रमोटर समूह को इकाई की पूंजी में 40% से अधिक निवेश करने की अनुमति नहीं होगी।

हर समय न्यूनतम शुद्ध मूल्य 300 करोड़ रुपए रखना होगा।

शासन संरचना: NUE के बोर्ड में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों को फिट एंड प्रॉपर’ (Fit and Proper) मानदंडों के साथ-साथ कॉर्पोरेट प्रशासन के मानदंडों के अनुरूप होना चाहिये।

RBI ने निदेशकों की नियुक्ति को मंज़ूरी देने और NUE के बोर्ड में एक सदस्य को नामित करने का अधिकार बरकरार रखा है।

विदेशी निवेश: जब तक विदेशी निवेशक मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं तब तक उन्हें NUEs में निवेश करने की अनुमति है।   


Also Read...