Daily Current Affairs in Hindi 23 March 2021
कुंभ मेला हरिद्वार 2021 के बारे में जानकारी
हाल ही में केंद्र ने उत्तराखंड सरकार को राज्य (हरिद्वार में) में चल रहे कुंभ मेले (Kumbh Mela) के दौरान कोविड-19 के प्रसार पर नियंत्रण के लिये कड़े उपाय किये जाने के विषय में पत्र लिखा है।
प्रमुख बिंदु
- कुंभ मेला यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (UNESCO's Representative List of Intangible Cultural Heritage of Humanity) के अंतर्गत आता है।
- कुंभ मेला पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा और शांतिपूर्ण जनसमूह है, जिसके दौरान प्रतिभागी स्नान करते हैं या पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं।
- यह मेला प्रयागराज (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा पर), उज्जैन (शिप्रा पर) और नासिक (गोदावरी पर) में हर चार साल के आवर्तन के बाद आयोजित किया जाता है तथा जाति, पंथ या लिंग की परवाह किये बिना लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं।
- यह मेला भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित होता है, इसलिये इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जो इसे सांस्कृतिक विविधता का पर्व बनाती हैं।
- इसे सामान्यतः प्रत्येक 12 साल में एक बार उपर्युक्त स्थानों पर आयोजित किया जाता है।
- ज्ञात हो कि प्रत्येक छठे वर्ष अर्द्ध कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। इसके अलावा इलाहाबाद में संगम पर हर साल माघ मेला जनवरी से फरवरी (हिंदू कैलेंडर के अनुसार) के मध्य मनाया जाता है।
- इस माघ मेले को जब छठे और बारहवें वर्ष में मनाया जाता है तब इसे क्रमशः अर्द्ध कुंभ मेला और कुंभ मेला के रूप में भी जाना जाता है ।
- हरिद्वार में कुंभ मेला विशेष शुभ तिथियों के कारण 11 साल बाद (12 साल नहीं) आयोजित किया जा रहा है। इस तरह की घटना 80 वर्षों में पहली बार हुई है।
- इस तरह की घटना खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, कर्मकांड की परंपराओं, सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों तथा ज्ञान को अत्यंत समृद्ध बनाती है।
- साधुओं का आश्रमों और अखाड़ों से शिक्षक-छात्र संबंध कुंभ मेले से संबंधित ज्ञान तथा कौशल प्रदान करने एवं इसे सुरक्षित रखने का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है।
- यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची
- यह प्रतिष्ठित सूची उन अमूर्त विरासतों से मिलकर बनी है जो सांस्कृतिक विरासत की विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं।
- यह सूची वर्ष 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर कन्वेंशन के समय स्थापित की गई थी।
यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव
हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी संबंधों को बढ़ाने हेतु ‘यूएस इंडिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनिशिएटिव’ (US India Artificial Intelligence-
USIAI) नामक
पहल शुरू की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- USIAI, इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम (IUSSTF) की एक पहल है, जिसकी स्थापना मार्च 2000 में की गई थी।
- भारत सरकार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और अमेरिकी राज्य विभाग IUSSTF के लिये संबंधित नोडल विभाग हैं।
- USIAI उन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा जो दोनों देशों की प्राथमिकताएँ हैं।
- उदाहरण: हेल्थकेयर, स्मार्ट शहर, सामग्री, कृषि, ऊर्जा और विनिर्माण।
- यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और समाज में चुनौतियों तथा अवसरों को संबोधित हेतु वातावरण निर्मित करने के लिये भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाएगा।
- यह उभरते AI परिदृश्य पर चर्चा और AI कार्यबल विकसित करने जैसी चुनौतियों का समाधान करने का अवसर प्रदान करेगा।
संबंधित नवीन पहल:
भारत में नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय कृत्रिम
बुद्धिमत्ता रणनीति और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा
राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता पोर्टल लॉन्च किया गया है तथा शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य सेवा, ई-कॉमर्स, वित्त, दूरसंचार आदि विभिन्न क्षेत्रों में AI का लाभ उठाया जा रहा है।
हाल ही में आयोजित CogX 2020 नामक कार्यक्रम में ‘MyGov कोरोना हेल्पडेस्क चैटबोट’ ने दो श्रेणियों के तहत पुरस्कार प्राप्त किये-
(1) ‘कोविड -19 के लिये सर्वश्रेष्ठ नवाचार - सोसाइटी’
(2) ‘पीपुल्स च्वाइस कोविड -19 समग्र विजेता’
- ।CogX लंदन में वार्षिक रूप से आयोजित होने वाली ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड इमेजिंग टेक्नोलॉजी’ से संबंधित एक प्रतिष्ठित ग्लोबल लीडरशिप समिट है।
- हाल ही में AI के उत्तरदायी और मानव विकास केंद्रित प्रयोग का समर्थन करने के लिये भारत एक संस्थापक सदस्य के रूप में 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)' में शामिल हुआ।
- एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में 45% की वृद्धि दर्ज की है, जो कि शॉपिंग व्यवहार में बदलाव और नई व्यापार चुनौतियों (कोविड -19 महामारी के कारण) के कारण सभी देशों से अधिक है।
- नीति आयोग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा संयुक्त रूप से ‘सामाजिक सशक्तीकरण के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता-2020’ (Responsible AI for Social Empowerment-2020) यानी रेज़-2020 (RAISE 2020) का आयोजन किया गया।
- वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक (VAIBHAV) शिखर सम्मेलन का आयोजन वर्ष 2020 में क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिये किया गया था।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या होती है
- यह उन कार्यों को पूरा करने वाली मशीनों का वर्णन करता है, जिनके लिये पारंपरिक रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
- इसमें मशीन लर्निंग, पैटर्न रिकॉग्निशन, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क, सेल्फ एल्गोरिदम आदि तकनीकें शामिल हैं।
- AI हार्डवेयर चालित रोबोट ऑटोमेशन से अलग है। मैन्युअल कार्यों को स्वचालित करने के बजाय AI लगातार उच्च मात्रा वाले कंप्यूटरीकृत कार्यों को मज़बूती से करता है।
- AI तकनीक अब कंप्यूटर विज्ञान में कई चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान में मदद करने वाली प्रौद्योगिकी का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है। एप्पल के सिरी से लेकर सेल्फ ड्राइविंग कार तक AI तेज़ी से प्रगति कर रहा है
रणथंभौर बाघ अभयारण्य के बारे में जानकारी
- राजस्थान का रणथंभौर बाघ अभयारण्य छह बाघों के लापता होने के कारण चर्चा में है।
- रणथंभौर बाघ अभयारण्य, राजस्थान राज्य के पूर्वी भाग में करौली और सवाई माधोपुर ज़िलों में अरावली तथा विंध्य पर्वत शृंखलाओं के संगम पर स्थित है।
- इसमें रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान, सवाई मानसिंह और कैलादेवी अभयारण्य शामिल हैं।
- इस बाघ अभयारण्य को रणथंभौर के किले से अपना नाम प्राप्त हुआ है और माना जाता है कि इस किले का इतिहास 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यह रणनीतिक रूप से अभयारण्य के भीतर 700 फीट ऊँची एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है और माना जाता है कि इसे 944 ईस्वी में चौहान शासक द्वारा बनाया गया था।
- बाघों के आवास वाला यह एकांत क्षेत्र ‘बंगाल टाइगर’ की वितरण सीमा की उत्तर-पश्चिमी सीमा का प्रतिनिधित्व करता है और देश में बाघ संरक्षण हेतु प्रारंभ किये गए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- जुलाई 2020 में सार्वजनिक जनगणना परिणामों के अनुसार, भारत में 2,967 बाघ हैं, जबकि अकेले रणथंभौर में 55 बाघ मौजूद हैं।
विशेषता
- रणथंभौर बाघ अभयारण्य में अत्यधिक खंडित वन, नदी धाराएंँ और कृषि भूमि मौजूद है।
- यह कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य के कुछ हिस्सों, चंबल के दुर्लभ निवास स्थानों और श्योपुर वन क्षेत्र के माध्यम से कुनो-पालपुर लैंडस्केप से जुड़ा हुआ है।
- चंबल की सहायक नदियाँ बाघों को कुनो नेशनल पार्क की ओर जाने के लिये आसान मार्ग प्रदान करती हैं।
वनस्पति और वन्यजीव:
- इस क्षेत्र की वनस्पति में पठारों पर घास के मैदान और घने जंगल शामिल हैं।
- यहाँ मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन मौजूद हैं, जिनमें ‘पलाश’ की बहुलता है। यह पेड़ की वह प्रजाति है जो लंबे समय तक सूखे का सामना करने में सक्षम है।
- इस पेड़ को 'जंगल की आग' भी कहा जाता है और यह कई फूलों वाले पौधों में से एक है।
- यह उद्यान वन्यजीवों के मामले में काफी समृद्ध है और यहाँ बाघ स्तनधारियों में खाद्य शृंखला के शीर्ष पर मौजूद हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले अन्य जानवरों में तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घे, लंगूर, रीसस मकाक, सियार, जंगली बिल्लियाँ, कैराकल, ब्लैकबक और चिंकारा आदि शामिल हैं।
- यह उद्यान पक्षियों के मामले में भी समृद्ध है और अब तक यहाँ 272 प्रजातियाँ देखी गई हैं।
- सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान, अलवर
- मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान/डेज़र्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, उदयपुर
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के ट्राई-जंक्शन पर)
अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित बोड़फुकन
हाल ही में प्रधानमंत्री ने अहोम साम्राज्य (Ahom Kingdom) के सेनापति लाचित बोड़फुकन (Lachit Borphukan) को भारत की "आत्मनिर्भर सेना का
प्रतीक" कहा।
कौन था लाचित बोड़फुकन:
- लाचित बोड़फुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को हुआ था। इन्होंने वर्ष 1671 में हुए सराईघाट के युद्ध (Battle of Saraighat) में अपनी सेना को प्रभावी नेतृत्व प्रदान किया, जिससे मुगल सेना का असम पर कब्ज़ा करने का प्रयास विफल हो गया था।
- इनसे भारतीय नौसैनिक शक्ति को मज़बूत करने, अंतर्देशीय जल परिवहन को पुनर्जीवित करने और नौसेना की रणनीति से जुड़े बुनियादी ढाँचे के निर्माण की प्रेरणा ली गई।
- राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लाचित बोड़फुकन स्वर्ण पदक (The Lachit Borphukan Gold Medal) प्रदान किया जाता है।
- इस पदक को वर्ष 1999 में रक्षा कर्मियों हेतु बोड़फुकन की वीरता से प्रेरणा लेने और उनके बलिदान का अनुसरण करने के लिये स्थापित किया गया था।
- 25 अप्रैल, 1672 को इनका निधन हो गया।
अहोम साम्राज्य के बारे में जानकारी
संस्थापक:
- छोलुंग सुकफा (Chaolung Sukapha) 13वीं शताब्दी के अहोम साम्राज्य के संस्थापक थे, जिसने छह शताब्दियों तक असम पर शासन किया था। अहोम शासकों का इस भूमि पर नियंत्रण वर्ष 1826 की यांडाबू की संधि (Treaty of Yandaboo) होने तक था।
राजनीतिक व्यवस्था:
- अहोमों ने भुइयाँ (ज़मींदारों) की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को कुचलकर एक नया राज्य बनाया।
- अहोम राज्य बंधुआ मज़दूरों (Forced Labour) पर निर्भर था। राज्य के लिये इस प्रकार की मज़दूरी करने वालों को पाइक (Paik) कहा जाता था।
समाज:
- अहोम समाज को कुल/खेल (Clan/Khel) में विभाजित किया गया था। एक कुल/खेल का सामान्यतः कई गाँवों पर नियंत्रित होता था।
- अहोम साम्राज्य के लोग अपने स्वयं के आदिवासी देवताओं की पूजा करते थे, फिर भी उन्होंने हिंदू धर्म और असमिया भाषा को स्वीकार किया।
- हालाँकि अहोम राजाओं ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपनी पारंपरिक मान्यताओं को पूरी तरह से नहीं छोड़ा।
- अहोम लोगों का स्थानीय लोगों के साथ विवाह के चलते उनमें असमिया संस्कृति को आत्मसात करने की प्रवृत्ति देखी गई।
कला और संस्कृति:
- अहोम राजाओं ने कवियों और विद्वानों को भूमि अनुदान दिया तथा रंगमंच को प्रोत्साहित किया।
- संस्कृत के महत्त्वपूर्ण कृतियों का स्थानीय भाषा में अनुवाद किया गया।
- बुरंजी (Buranjis) नामक ऐतिहासिक कृतियों को पहले अहोम भाषा में फिर असमिया भाषा में लिखा गया।
सैन्य रणनीति:
- अहोम राजा राज्य की सेना का सर्वोच्च सेनापति भी होता था। युद्ध के समय सेना का नेतृत्व राजा स्वयं करता था और पाइक राज्य की मुख्य सेना थी।
- पाइक दो प्रकार के होते थे- सेवारत और गैर-सेवारत। गैर-सेवारत पाइकों ने एक स्थायी मिलिशिया (Militia) का गठन किया, जिन्हें खेलदार (Kheldar- सैन्य आयोजक) द्वारा थोड़े ही समय में इकट्ठा किया जा सकता था।
- अहोम सेना की पूरी टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे। युद्ध में इस्तेमाल किये जाने वाले मुख्य हथियारों में तलवार, भाला, बंदूक, तोप, धनुष और तीर शामिल थे।
- अहोम राजा युद्ध अभियानों का नेतृत्व करने से पहले दुश्मनों की युद्ध रणनीतियों को जानने के लिये उनके शिविरों में जासूस भेजते थे।
- अहोम सैनिकों को गोरिल्ला युद्ध (Guerilla Fighting) में विशेषज्ञता प्राप्त थी। ये सैनिक दुश्मनों को अपने देश की सीमा में प्रवेश करने देते थे, फिर उनके संचार को बाधित कर उन पर सामने और पीछे से हमला कर देते थे।
- कुछ महत्त्वपूर्ण किले: चमधारा, सराईघाट, सिमलागढ़, कलियाबार, कजली और पांडु।
- उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर नाव का पुल (Boat Bridge) बनाने की तकनीक भी सीखी थी।
- इन सबसे ऊपर अहोम राजाओं के लिये नागरिकों और सैनिकों के बीच आपसी समझ तथा रईसों के बीच एकता ने हमेशा मज़बूत हथियारों के रूप में काम किया।
सराईघाट की लड़ाई
- सराईघाट का युद्ध (Battle of Saraighat) वर्ष 1671 में गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra) नदी के तट पर लड़ा गया था।
- इसे एक नदी पर होने वाली सबसे बड़ी नौसैनिक लड़ाई के रूप में जाना जाता है, जिसमें मुगल सेना की हार और अहोम सेना की जीत हुई।
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