Daily Current Affairs in Hindi : 18 March Current Affair in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 18 मार्च 2021

Daily Current Affairs in Hindi : 18 March Current Affair in Hindi

 18 मार्च का करेंट अफेयर्स 18 March Current Affair in Hindi


विश्व का सबसे ऊँचा रेल पुल कौन सा है 

  • हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने सूचित किया है कि जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊँचा रेल पुल अपने निर्माण के अंतिम चरण में है। जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में बनया जा रहा यह रेलवे पुल नदी तल से 359 मीटर ऊँचा होगा और पेरिस के सुप्रसिद्ध आइफिल टावर से भी 30 मीटर ऊँचा होगा। एक बार निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह रेलवे पुल चीन की बीपन नदी पर निर्मित शुआईबाई रेलवे पुल (275 मीटर) का रिकॉर्ड भी तोड़ देगा। तकरीबन 1,250 करोड़ रुपए की लागत वाले इस पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2017 में शुरू हुआ था। ज्ञात हो कि यह रेलवे पुल लगभग 8 तीव्रता वाले भूकंप का सामना करने में सक्षम है। यह रेलवे पुल जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्त्वाकांक्षी रेलवे परियोजना का हिस्सा है। उत्तर रेलवे दिसंबर 2022 तक ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के सबसे कठिन 111 किलोमीटर लंबे खंड को पूरा करेगा, जो रेलवे नेटवर्क के माध्यम से कश्मीर को शेष भारत से जोड़ेगा। 272 किलोमीटर लंबी यह रेलवे लाइन उत्तर रेलवे द्वारा अनुमानित 28,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही है। जम्मू-कश्मीर का समग्र विकास सुनिश्चित करने और वैकल्पिक एवं विश्वसनीय परिवहन प्रणाली उपलब्ध कराने के लिये यह रेल परियोजना काफी महत्त्वपूर्ण है।

 

कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड

  • भारत के कल्याणी ग्रुप और इज़रायल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स के संयुक्त उपक्रम कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड’ (KRAS) ने भारतीय सेना और वायुसेना को मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) किट की डिलीवरी शुरू कर दी है। कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड, भारत की निजी क्षेत्र की इकाई है, जो उन्नत विनिर्माण क्षमताओं और सुविधाओं के लिये विशेष रूप से रक्षा बलों द्वारा प्रयोग किये जा रहे अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों की असेम्बलिंग, एकीकरण और परीक्षण (AIT) के लिये समर्पित है। मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (MRSAM) किट की डिलीवरी भारत के आत्मनिर्भर अभियानकी दिशा में महत्त्वपूर्ण है। ज्ञात हो कि कल्याणी राफेल एडवांस्ड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को वर्ष 2019 में 1,000बराक-8मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल किट बनाने के लिये 100 मिलियन डॉलर का ऑर्डर मिला था।

 

स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड

  • केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन को स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्डका अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। स्टॉप टीबी पार्टनरशिपएक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो दुनिया भर के विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर टयूबरक्लोसिस यानी क्षय रोग के विरुद्ध संघर्ष हेतु अभियान चलाती है। दुनिया के विभिन्न भागों में साझेदारी के चलते इस वैश्विक संगठन की विशिष्ट मान्यता है और इसे टीबी को खत्म करने के लिये चिकित्सा, सामाजिक और वित्तीय विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है। स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर हर्षवर्द्धन जुलाई 2021 को अपना पद संभालेंगे और उनका कार्यकाल 3 वर्षों का होगा। डॉक्टर हर्षवर्द्धन को इस संस्था का अध्यक्ष बनाया जाना टीबी को खत्म करने के लिये भारत द्वारा किये गए प्रयासों को मान्यता प्रदान करता है। स्टॉप टीबी पार्टनरशिपका गठन वर्ष 2000 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य जन स्वास्थ्य की समस्या बन चुके ट्यूबरकुलोसिस को जड़ से खत्म करना था। वर्तमान में इस संगठन के साथ 1500 साझेदार संगठन जुड़े हुए हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी, सरकारी समूह शामिल हैं। संगठन का सचिवालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में स्थित है।

 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

  • सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में ग्रेट इंडियन बस्टर्डके संरक्षण हेतु राजस्थान और गुजरात में कम वोल्टेज वाली ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत (अंडर ग्राउंड) करने और उच्च वोल्टेज वाली ट्रांसमिशन लाइनों में बर्ड डायवर्टर लगाने पर विचार किये जाने का सुझाव दिया है। मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने ग्रेट इंडियन बस्टर्डकी संख्या में आ रही गिरावट के मामले की सुनवाई करते हुए ये सुझाव दिये। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड या सोन चिड़िया विश्व में सबसे अधिक वज़न के उड़ने वाले पक्षियों में से एक है, यह पक्षी मुख्यतया भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। एक समय इस पक्षी का नाम भारत के संभावित राष्ट्रीय पक्षियों की सूची में शामिल था। वर्तमान में विश्व भर में इनकी संख्या 150 के लगभग बताई जाती है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 की अनुसूची-1 में तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्तकी श्रेणी में रखा गया है। 

अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union)

हाल ही में अंतर-संसदीय संघ (Inter-Parliamentary Union- IPU) के अध्यक्ष ने भारतीय संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में सांसदों को संबोधित किया। 

IPU के बारे में जानकारी 

  • IPU विश्व की विभिन्न राष्ट्रीय संसदों का एक अंतर्राष्ट्रीय संघ है, इसकी स्थापना वर्ष 1889 में पेरिस में की गई थी।
  • इसकी स्थापना फ्राँस के फ्रेडरिक पैसी और यूनाइटेड किंगडम के विलियम रैंडल क्रेमर ने की थी।
  • यह विवादों की मध्यस्थता के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN), क्षेत्रीय संसदीय संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों के निकट सहयोग से काम करता है।
  • यह विश्व भर में राजनीतिक विचारों और रुझानों पर नज़र रखने वाला एक विशिष्ट मंच है।

उद्देश्य

  • दुनिया भर में संसदीय संवाद को बढ़ावा देना और लोगों के बीच शांति एवं सहयोग को बनाए रखने के लिये कार्य करना।
  • अपने सदस्यों के बीच लोकतांत्रिक शासन, जवाबदेही और सहयोग को बढ़ावा देना।

आदर्श वाक्य:

लोकतंत्र के लिये। सभी के लिये। (For democracy. For everyone.)

कार्य:

छह प्रमुख क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं को संबोधित कर संसदीय कार्रवाई को बढ़ावा देना। ये छह क्षेत्र हैं:

  1. प्रतिनिधिक लोकतंत्र।
  2. शांति और सुरक्षा।
  3. सतत् विकास।
  4. मानवाधिकार और मानवीय कानून।
  5. राजनीति में महिलाएँ।
  6. शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति।

सदस्य:

  • 179 देश IPU के सदस्य हैं।
  • 13 क्षेत्रीय संसदीय सभाएँ इसकी सहयोगी सदस्य हैं।
  • भारत इसका सदस्य है।

मुख्यालय:

जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड।


एमपीलैड कार्यक्रम क्या है 

 

हाल ही में गोवा की ग्राम पंचायतों में संसद स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS) की धनराशि वितरित की गई है । 

वर्तमान में MPLADS फंड योजना ( कोविड-19 महामारी के कारण) जिसके अंतर्गत महामारी से पूर्व निर्धारित धनराशि का आवंटन किया जाना था, निलंबित है।

प्रमुख बिंदु:

MPLAD के बारे में: 

  • MPLAD एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसकी घोषणा दिसंबर 1993 में की गई थी।
  • प्रारंभ में इसका क्रियान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय (Ministry of Rural Development) के अंतर्गत किया गया जिसे अक्तूबर 1994 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) को स्थानांतरित कर दिया गया।

कार्य पद्धति: 

  • MPLADS के तहत संसद सदस्यों (Member of Parliaments- MPs) को  प्रत्येक वर्ष 2.5 करोड़ रुपए की दो किश्तों में 5 करोड़ रुपए की राशि वितरित की जाती है। MPLADS के तहत आवंटित राशि नॉन-लैप्सेबल (Non-Lapsable) होती है। 
  • लोकसभा सांसदों से इस राशि को अपने लोकसभा क्षेत्रों में ज़िला प्राधिकरण परियोजनाओं (district authorities projects) में व्यय करने की सिफारिश की जाती है, जबकि राज्यसभा संसदों द्वारा इस राशि का उपयोग उस राज्य क्षेत्र में किया जाता है जहाँ से वे चुने गए हैं। 
  • राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य देश में कहीं भी कार्य करने की सिफारिश कर सकते हैं।
  • हाल ही में गोवा की ग्राम पंचायतों में संसद स्थानीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ (Members of Parliament Local Area Development Scheme- MPLADS) की धनराशि वितरित की गई है ।
  • वर्तमान में MPLADS फंड योजना ( कोविड-19 महामारी के कारण) जिसके अंतर्गत महामारी से पूर्व निर्धारित धनराशि का आवंटन किया जाना था, निलंबित है।

मुल्लापेरियार बाँध के बारे में जानकारी 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मुल्लापेरियार बाँध पर्यवेक्षक समिति (Mullaperiyar Dam Supervisory Committee) को बाँध की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में मुल्लापेरियार बाँध से संबंधित सभी मुद्दों की देख-रेख के लिये एक स्थायी पर्यवेक्षी समिति का गठन किया था। यह बाँध तमिलनाडु और केरल के बीच विवाद का एक स्रोत है।


पृष्ठभूमि: 

  • केरल के इडुक्की ज़िले के निवासियों ने मुल्लापेरियार बाँध के जल स्तर को 130 फीट तक कम करने के लिये एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि मानसूनी अवधि में वृद्धि के कारण राज्य के इस क्षेत्र में भूकंप (Earthquake) और बाढ़ (Flood) का खतरा है।
  • याचिकाकर्त्ता ने कहा कि बाँध के सुरक्षा निरीक्षण और सर्वेक्षण के मामले में पर्यवेक्षी समिति की गतिविधि "सुस्त" पड़ गई थी।
  • इसने अपनी ज़िम्मेदारी को स्थानीय अधिकारियों की एक उप-समिति पर डाल दिया था।
  • पिछले छह वर्षों से इंस्ट्रूमेंटेशन स्कीम (Instrumentation Scheme), सुरक्षा तंत्र आदि को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।

तमिलनाडु का पक्ष: 

  • तमिलनाडु ने बाँध के नियम वक्र (Rule Curve) को अंतिम रूप देने में देरी के लिये केरल को दोषी ठहराया।
  • नियम वक्र एक बाँध में उसके जल के भंडारण स्तर में उतार-चढ़ाव को तय करता है। बाँध का गेट खोलने का कार्यक्रम नियम वक्र पर आधारित होता है।
  • यह एक बाँध के "मुख्य सुरक्षा" तंत्र का हिस्सा है।
  • बाढ़ जैसी आपातकालीन स्थिति में डैम शटर को खोलने से बचने के लिये नियम वक्र स्तर निर्धारित किया जाता है। यह मानसून के दौरान बाँध में जल स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • केरल ने इस बाँध के माध्यम से तमिलनाडु के विकास कार्यों को लगातार बाधित करने का कार्य किया है।
  • तमिलनाडु, केरल से उन इलाकों का डेटा प्राप्त नहीं कर पा रहा जो इस बाँध के जल प्रवाह के अंतअंतर्गत आते हैं, इसकी वजह से इन क्षेत्रों में न तो कोई सड़क बनी है और न ही बिजली की आपूर्ति बहाल हुई है, जबकि तमिलनाडु ने इसके लिये भुगतान किया है।

केरल का पक्ष: 

  • केरल ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु ने वर्ष 1939 में "अप्रचलित" गेट ऑपरेशन शेड्यूल (Gate Operation Schedule ) को अपनाया।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: 

  • मुल्लापेरियार बाँध पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षी समिति को वक्र नियम की जानकारी देने में विफल रहने पर तमिलनाडु के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदारहोंगे और  इस संबंध में उचित कार्रवाईकी जाएगी।
  • पर्यवेक्षक समिति को तीन मुख्य सुरक्षा मुद्दों को संबोधित करने के लिये कदम उठाने तथा चार सप्ताह में एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

मुख्य मुद्दे:

  • निगरानी और बाँध उपकरणों का रख-रखाव।
  • नियम वक्र को अंतिम रूप देना।
  • गेट ऑपरेटिंग शेड्यूल को ठीक करना।

कारण:

  • तीन मुख्य मुद्दे सीधे तौर पर बाँध की सुरक्षा से संबंधित हैं और इनका प्रभाव आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों पर पड़ेगा।

मुल्लापेरियार बाँध की जानकारी 

  • लगभग 123 साल पुराना मुल्लापेरियार बाँध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।
  • इस बाँध की लंबाई 365.85 मीटर और ऊँचाई 53.66 मीटर है।
  • इसके माध्यम से तमिलनाडु राज्य अपने पाँच दक्षिणी ज़िलों के लिये पीने के पानी और सिंचाई की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान 999 साल के लिये किये गए एक समझौते के अनुसार, इसके परिचालन का अधिकार तमिलनाडु को सौंपा गया था।
  • इस बाँध का उद्देश्य पश्चिम की ओर बहने वाली पेरियार नदी (Periyar River) के पानी को तमिलनाडु में वृष्टि छाया क्षेत्रों में पूर्व की ओर मोड़ना है।

पेरियार नदी की जानकारी 

  • पेरियार नदी 244 किलोमीटर की लंबाई के साथ केरल राज्य की सबसे लंबी नदी है।
  • इसे केरल की जीवनरेखा’ (Lifeline of Kerala) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह केरल राज्य की बारहमासी नदियों में से एक है।
  • यह बारहमासी नदी प्रणाली है जो पूरे वर्ष अपने प्रवाह के कुछ हिस्सों में निरंतर बहती रहती है।
  • पेरियार नदी पश्चिमी घाट (Western Ghat) की शिवगिरी पहाड़ियों (Sivagiri Hill) से निकलती है और पेरियार राष्ट्रीय उद्यान’ (Periyar National Park) से होकर बहती है।
  • पेरियार की मुख्य सहायक नदियाँ- मुथिरपूझा, मुल्लायार, चेरुथोनी, पेरिनजंकुट्टी हैं।

NCC अधिनियम में संशोधन संबंधी केरल उच्च न्यायालय का आदेश

हाल ही में केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, (NCC अधिनियम) 1948 में संशोधन करने का आदेश दिया, जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में शामिल होने से प्रतिबंधित करता है। 

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि: 

  • वर्ष 2020 में एक छात्र द्वारा उसके कॉलेज में लिंग (ट्रांसजेंडर) के आधार पर NCC यूनिट से बहिष्कार के विरोध में एक रिट याचिका दायर की गई थी।
  • याचिका में NCC अधिनियम, 1948 की धारा 6 को चुनौती दी गई जो केवल पुरुष यामहिला कैडेट को NCC में शामिल होने की अनुमति देती है।
  • केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को NCC में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है क्योंकि इसके लिये कोई प्रावधान नहीं है।

उच्च न्यायालय का आदेश: 

  • न्यायालय ने इस स्थिति को अपवाद माना और ज़ोर देते हुए कहा कि यह अधिनियम केरल की ट्रांसजेंडर नीति और अन्य कानूनों के विपरीत है।
  • NCC अधिनियम, 1948 के प्रावधान ट्रांसजेंडर अधिकार अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन को प्रतिबंधित नहीं कर सकते हैं।
  • ट्रांसजेंडर अधिकार अधिनियम का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को प्रभाव में लाना था।
  • एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति भी अपनी नैसर्गिक समानता के अनुसार NCC में शामिल होने का हकदार है।
  • न्यायालय ने केंद्र सरकार को छह महीने के भीतर NCC अधिनियम, 1948 की धारा 6 में संशोधन करने का आदेश दिया ताकि कानून सभी को समान अवसर प्रदान करे।

केरल की ट्रांसजेंडर नीति: 

  • केरल वर्ष 2015 में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये कल्याणकारी नीति तैयार करने और उसे लागू करने वाला देश का पहला राज्य था।
  • इस कदम को वर्ष 2014 के राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का पालन करते हुए उठाया गया, जिसमें अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये समानता और समान सुरक्षा का अधिकार बरकरार रखा गया था तथा ट्रांसजेंडर को 'थर्ड जेंडर' शीर्षक आवंटित किया।

न्यायिक बोर्ड:

  • एक ट्रांसजेंडर जस्टिस बोर्ड का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य उन नीतियों की निगरानी करना और पता लगाना है, जिन्हें इनके उचित कार्यान्वयन के लिये आवश्यक समझा गया है।

भेदभाव रहित:

  • इस नीति में सभी सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे ट्रांसजेंडर के लिये गैर-भेदभावपूर्ण निवारक सुविधाओं का विस्तार करें और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन एवं सामाजिक सुरक्षा तक आसान पहुँच प्रदान करें।

सामाजिक लाभ:

  • इसके तहत भेदभाव से लड़ने वालों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना, ट्रांसजेंडरों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिये स्थानीय पुलिस स्टेशन स्तर पर रिकॉर्डिंग, एक 24 × 7 हेल्पलाइन और संकट प्रबंधन केंद्र, बेसहारा लोगों और 55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिये मासिक पेंशन योजना तथा आश्रय घरों की स्थापना करने जैसे कुछ नीतिगत आश्वासन दिये गए।

शैक्षिक कार्यक्रम:

  • वर्ष 2018 में सरकार ने विश्वविद्यालयों तथा कला और विज्ञान महाविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के लिये सभी ट्रांसजेंडर आवेदकों हेतु दो अतिरिक्त सीटें निर्धारित करने का निर्णय लिया।
  • ट्रांसजेंडर के लिये एक साक्षरता सहायता कार्यक्रम भी चलाया गया है, जिसके तहत 1,250 रुपए तक की मासिक छात्रवृत्ति और आश्रयगृह प्रदान किया जाता है।


राष्ट्रीय कैडेट कोर के बारे में जानकारी 

राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 

यह राष्ट्रीय कैडेट कोर को एक संविधान प्रदान करने हेतु एक अधिनियम है।

इसका प्रभाव पूरे भारत में है और यह इस अधिनियम के तहत नामांकित या नियुक्त सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।

धारा 6:

  • किसी भी विश्वविद्यालय में कोई भी छात्र (पुरुष) सीनियर डिवीज़न में कैडेट के रूप में नामांकन के लिये खुद को प्रस्तुत कर सकता है और किसी भी स्कूल का कोई पुरुष छात्र खुद को जूनियर डिवीजन में कैडेट के रूप में नामांकन के लिये प्रस्तुत कर सकता है ।
  • महिला डिवीज़न में कैडेट के रूप में किसी भी विश्वविद्यालय या स्कूल की छात्रा खुद को नामांकन के लिये प्रस्तुत कर सकती है:
  • बशर्ते कि बाद के मामले में वह निर्धारित उम्र या उससे अधिक की हो।

NCC क्या है  

  • NCC का गठन वर्ष 1948 (हृदयनाथ कूंज़रू समिति, 1946 की सिफारिश पर) में किया गया था और इसकी जड़ें ब्रिटिश युग की यूनिवर्सिटेड कॉरपोरेट्सया यूनिवर्सिटी ऑफिसर ट्रेनिंग कॉर्प्सजैसी वर्दीधारी युवा संस्थाओं में छिपी हुई हैं।

  • वर्तमान में इसकी क्षमता सेना, नौसेना और वायु सेना के विंग से लगभग 14 लाख कैडेट्स की है।
  • NCC रक्षा मंत्रालय के दायरे में आता है और इसका नेतृत्व थ्री स्टारसैन्य रैंक के महानिदेशक द्वारा की जाती है।
  • यह हाईस्कूल और कॉलेज स्तर पर कैडेटों का नामांकन करता है और विभिन्न चरणों के पूरा होने पर प्रमाण पत्र भी प्रदान करता है।
  • NCC कैडेट विभिन्न स्तरों पर बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और उनके शैक्षणिक पाठ्यक्रम में सशस्त्र बलों एवं उनके कामकाज से संबंधित मूल बातें भी होती हैं।
  • विभिन्न प्रशिक्षण शिविर, साहसिक गतिविधियाँ और सैन्य प्रशिक्षण शिविर NCC प्रशिक्षण के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं।

महत्त्व:

 

  • NCC कैडेटों द्वारा विभिन्न आपातकालीन स्थितियों के दौरान राहत प्रयासों में कई वर्षों से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती रही है।
  • वर्तमान महामारी के दौरान देश भर में ज़िला और राज्य अधिकारियों के समन्वय में स्वैच्छिक राहत कार्य के लिये 60,000 से अधिक NCC कैडेटों को तैनात किया गया।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021

हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 में संशोधन के लिये दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 को लोकसभा में पेश किया। 

इसका उद्देश्य दिल्ली में निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल के दायित्त्वों को और अधिक स्पष्ट करना है।


विधेयक के प्रावधान

 

  • सरकारका अर्थ उपराज्यपाल’: विधानसभा द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून में संदर्भित 'सरकार' का अर्थ उपराज्यपाल (LG) से होगा।
  • उपराज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों का विस्तार: यह विधेयक उपराज्यपाल को उन मामलों में भी विवेकाधीन शक्तियाँ प्रदान करता है, जहाँ कानून बनाने का अधिकार दिल्ली विधानसभा को दिया गया है।
  • उपराज्यपाल से विमर्श: यह विधेयक सुनिश्चित करता है कि मंत्रिपरिषद (अथवा दिल्ली मंत्रिमंडल) द्वारा लिये गए किसी भी निर्णय को लागू करने से पूर्व उपराज्यपाल को अपनी राय देने हेतु उपयुक्त अवसर प्रदान किया जाए।
  • प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में: संशोधन के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा राजधानी के दैनिक प्रशासन के मामलों पर विचार करने अथवा प्रशासनिक निर्णयों के संबंध में स्वयं को सक्षम करने के लिये कोई नियम नहीं बनाएगी।

संशोधन की आवश्यकता 

  • संरचनात्मक स्पष्टता के लिये: विधेयक के उद्देश्य और कारणोंको लेकर गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, वर्ष 1991 के अधिनियम में प्रक्रिया और व्यवसाय के संचालन से संबंधित प्रावधान किये गए हैं, हालाँकि उक्त खंड के प्रभावी समयबद्ध कार्यान्वयन के लिये कोई संरचनात्मक तंत्र स्थापित नहीं किया गया है।
  • इसके अलावा इस बारे में भी स्पष्टता नहीं है कि आदेश जारी करने से पूर्व किस प्रकार के प्रस्ताव अथवा मामलों को उपराज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • 1991 के अधिनियम की धारा 44 में कहा गया है कि उपराज्यपाल की सभी कार्यकारी कार्रवाइयाँ, चाहे वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर हों अथवा नहीं, उपराज्यपाल के नाम पर ही की जाएंगी।

घटनाओं की पृष्ठभूमि 

  • वर्ष 2018 में सर्वोच्च न्यायालय के पाँच न्यायाधीशों की एक खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा था कि पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के अलावा अन्य किसी भी मुद्दे पर उपराज्यपाल की सहमति की आवश्यकता नहीं है।
  • हालाँकि न्यायालय ने कहा था कि मंत्रिपरिषद के निर्णयों के बारे में उपराज्यपाल को सूचित करना आवश्यक होगा।
  • मंत्रिपरिषद की सलाह उपराज्यपाल के लिये बाध्यकारी है।
  • न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि दिल्ली के उपराज्यपाल की स्थिति किसी अन्य राज्य के राज्यपाल जैसी नहीं है, बल्कि सीमित अर्थ में वह केवल एक प्रशासक है।
  • खंडपीठ ने यह भी कहा था कि निर्वाचित सरकार को यह ध्यान में रखना होगा कि दिल्ली एक राज्य नहीं है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद दिल्ली सरकार ने किसी भी निर्णय के लागू होने से पूर्व उपराज्यपाल के पास कार्यकारी मामलों की फाइलें भेजना बंद कर दिया था।
  • दिल्ली सरकार उपराज्यपाल को सभी प्रशासनिक घटनाक्रमों से अवगत तो करा रही थी, किंतु यह कार्य किसी भी निर्णय को लागू करने या निष्पादित करने के बाद किया जा रहा था, न कि उससे पूर्व।
  • यदि केंद्र सरकार हालिया संशोधन को मंज़ूरी दे देती है, तो निर्वाचित सरकार के लिये मंत्रिमंडल के किसी भी फैसले पर कोई कार्रवाई करने से पूर्व उपराज्यपाल की सलाह लेना आवश्यक हो जाएगा।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991

  • एक विधानसभा के साथ केंद्रशासित प्रदेश के रूप में दिल्ली की वर्तमान स्थिति 69वें संविधान संशोधन अधिनियम का परिणाम है, जिसके माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 239AA और 239BB शामिल किये गए थे।
  • दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम को राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा और मंत्रिपरिषद से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों के पूरक के रूप में पारित किया गया था।
  • सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिये यह अधिनियम दिल्ली विधानसभा की शक्तियों, उपराज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों और उपराज्यपाल को जानकारी देने से संबंधित मुख्यमंत्री के कर्तव्यों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।

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