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मंगलवार, 16 मार्च 2021

Daily Current Affair 16 March in Hindi

Daily Current Affair 16 March in Hindi 

Daily Current Affair 16 March in Hindi


ऑटिज़्म की पहचान के लिये रेटिना स्कैन तकनीक

  • हॉन्गकॉन्ग के एक वैज्ञानिक ने प्रारंभिक ऑटिज़्म के खतरे का पता लगाने के लिये मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करते हुए एक विधि विकसित की है। रेटिना स्कैनिंग पर आधारित यह विधि बच्चों में शुरुआती ऑटिज़्म की पहचान कर उपचार परिणामों को बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकती है, जिससे ऑटिज़्म का उपचार प्रारंभिक अवस्था में ही करने की संभावना बढ़ जाती है। इस विधि के तहत नए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के साथ एक उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे का उपयोग करते हुए फाइबर परतों और आँख की रक्त वाहिकाओं सहित विभिन्न कारकों के संयोजन का विश्लेषण किया जाता है। परीक्षण के दौरान यह तकनीक 95.7 प्रतिशत तक ऑटिज़्म के खतरों की पहचान करने में सक्षम थी। ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) अथवा ऑटिज़्म, सामाजिक विकृतियों, संवाद में परेशानी, व्यवहार का दोहराव और व्यवहार का स्टिरियोटाइप पैटर्न द्वारा पहचाना जाने वाला तंत्रिका विकास संबंधी जटिल विकार है। यह एक जटिल मस्तिष्क विकास विकलांगता है जो व्यक्ति के जीवन के पहले 3 वर्षों के दौरान उत्पन्न होती है। हालाँकि इसे मानसिक मंदता की स्थिति नहीं माना जाता, क्योंकि ऑटिज़्म से पीड़ित लोग कला, संगीत, लेखन आदि क्षेत्रों में उत्कृष्ट कौशल दिखा सकते हैं।

 

लक्ष्मण पाई

  • गोवा के जाने-माने चित्रकार लक्ष्मण पंढरीनाथ पाई का हाल ही में 95 वर्ष की उम्र में गोवा में निधन हो गया है। वर्ष 1926 में गोवा के मडगाँव में जन्मे लक्ष्मण पाई को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें पद्म भूषण, पद्म श्री, नेहरू पुरस्कार और ललित कला अकादमी पुरस्कार आदि शामिल हैं। लक्ष्मण पाई ने गोवा मुक्ति आंदोलन में भी हिस्सा लिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका के कारण उन्हें जेल भी भेजा गया। उन्होंने मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में कला और चित्रकला में डिप्लोमा प्राप्त किया और बाद में वहीं शिक्षण का कार्य भी किया। इसके अलावा वह गोवा कॉलेज ऑफ आर्ट में प्रिंसिपल भी रहे थे। लक्ष्मण पाई अलग-अलग भारतीय रागों पर आधारित अमूर्त चित्रों की अपनी रागमाला शृंखला के लिये काफी प्रसिद्ध थे, इस शृंखला में उन्होंने शास्त्रीय संगीत, ग्रंथों और दर्शन से अपने जुड़ाव को दर्शाया था। लक्ष्मण पाई सितार और बाँसुरी वादन में भी प्रशिक्षित थे।

 

भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्त्ता: अमेरिका

  • संयुक्त राज्य अमेरिका हाल ही में सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्त्ता बन गया है, क्योंकि ओपेक द्वारा आपूर्ति में कटौती किये जाने के बाद से भारत ने अमेरिकी से कच्चे तेल के आयात को बढ़ा दिया है। आँकड़ों के मुताबिक, अमेरिका जो कि विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक है, से भारत का आयात फरवरी में बीते माह की तुलना में 48 प्रतिशत बढ़कर 545,300 बैरल प्रतिदिन पहुँच गया था, यह भारत के कुल आयात का 14 प्रतिशत है। इसके विपरीत सऊदी अरब से फरवरी माह में कुल तेल आयात बीते माह की तुलना में 42 प्रतिशत कम होकर एक दशक के निचले स्तर तकरीबन 445,200 बैरल प्रतिदिन पर पहुँच गया था। ज्ञात हो कि चीन, अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार तनावों के कारण अमेरिका से कच्चा तेल नहीं खरीद सकता है, जिसके चलते अमेरिका के पास भारत के रूप में एकमात्र तेल खरीदार बचता है। भारत, जो कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है, वैश्विक आर्थिक रिकवरी के लिये लगातार प्रमुख तेल उत्पादक देशों से आपूर्ति कटौती को रोकने का आग्रह कर रहा है, ताकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोका जा सके।

 

अय्या वैकुंडा स्वामिकल

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान मानवतावादी और सामाजिक विचारक अय्या वैकुंडा स्वामिकल की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 19वीं शताब्दी के शुरुआती दशकों में  केरल के त्रावणकोर की रियासत में रहने वाले अय्या वैकुंडा स्वामिकल को आज भी भारत के पहले प्रसिद्ध समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने जातिगत भेदभाव और धार्मिक पदानुक्रम की आलोचना की तथा अस्पृश्यता के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। समथव समजमभारत में पहला सामाजिक सुधार आंदोलन (1836) के संस्थापक होने के नाते अय्या वैकुंडा को भारत में सामाजिक-राजनीतिक क्रांतिकारी आंदोलनों का अग्रणी माना जाता है। उन्होंने 'अय्या वज़ी' नामक आध्यात्मिक विचारों के एक नए मार्ग का प्रतिपादन किया। उनके द्वारा प्रतिपादित पंक्ति एक जाति, एक धर्म, एक गोत्र, एक दुनिया, एक ईश्वरवैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है।

भादर बाँध: गुजरात (Bhadar Dam: Gujarat)

हाल ही में केंद्रीय जल आयोग (CWC) के बाँध सुरक्षा संगठन ने भादर बाँध के जलद्वार जो कि वर्ष 2015 की फ्लैश फ्लड में क्षतिग्रस्त हो गए थे, के प्रतिस्थापन की सिफारिश की है ।

 

भादर बाँध के बारे में जानकारी 

 

  • भादर बाँध राजकोट में स्थित है और शेतरुंजी बाँध के बाद सौराष्ट्र क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बाँध है।
  • भादर बाँध गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में भादर नदी पर स्थित है।

भादर नदी के बारे में जानकारी 

 

  • भादर नदी, गुजरात में काठियावाड़ (सौराष्ट्र) प्रायद्वीप की प्रमुख नदियों में से एक है।
  • भादर नदी का उद्गम समुद्र तल से 261 मीटर की ऊँचाई पर राजकोट ज़िले के जसदान तालुका से हुआ है।
  • यह सौराष्ट्र क्षेत्र से होकर बहती है और अंत में नवीबंदर (पोरबंदर) के रास्ते अरब सागर में मिल जाती है।
  • इस नदी की कुल लंबाई 198 किमी. है

फ्लैश फ्लड

  • फ्लैश फ्लड या अचानक आने वाली बाढ़ से आशय ऐसी बाढ़ की घटनाओं से है जहाँ वर्षा के कुछ ही घंटों के दौरान (या बाद में) जल स्तर काफी बढ़ जाता है।
  • फ्लैश फ्लड, बहुत अधिक उफान के साथ छोटी अवधि वाली अत्यधिक स्थानीयकृत घटनाएँ होती हैं। आमतौर पर वर्षा की शुरुआत और चरम उफान वाली बाढ़ की घटना के बीच की अवधि छह घंटे से कम होती है।
  • बाढ़ की स्थिति, खराब जल निकासी लाइनों या पानी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करने वाली बाधाओं के कारण और अधिक खराब हो सकती है।


केंद्रीय जल आयोग (CWC) क्या है 

  • केंद्रीय जल आयोग जल संसाधन के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है और वर्तमान में यह जल शक्ति मंत्रालय के अधीन कार्य कर रहा है।
  • आयोग राज्य सरकारों के परामर्श से सिंचाई, बाढ़ प्रबंधन, बिजली उत्पादन, नेविगेशन आदि के उद्देश्य से पूरे देश में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण, विकास और उपयोग हेतु योजनाओं को विकसित करने, शुरू करने, समन्वय स्थापित करने हेतु उत्तरदायी है।.

 

म्याँमार से अवैध अंतर्वाह

  • हाल ही में गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affair) ने नगालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश को म्याँमार से भारत में अवैध अंतर्वाह की जाँच करने का निर्देश दिया है। 
  • इस संबंध में सीमा सुरक्षा बल (Border Guarding Force) यानी असम राइफल्स को भी निर्देश दिये गए हैं।
  • म्याँमार से पलायन कर आने वाले बहुत सारे रोहिंग्या (Rohingya) पहले से ही भारत में रह रहे हैं।
  • भारत देश में प्रवेश करने वाले सभी शरणार्थियों को अवैध प्रवासी मानता है।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2020 में भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग 40,000 रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे थे।


गृह मंत्रालय के निर्देश: 

  • राज्य सरकारों के पास "किसी भी विदेशी को शरणार्थी का दर्जा" देने की शक्ति नहीं है और भारत वर्ष 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन तथा उसके प्रोटोकॉल (वर्ष 1967) का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है।
  • इसी तरह के निर्देश अगस्त 2017 और फरवरी 2018 में जारी किये गए थे।
  • यह निर्देश म्याँमार में सैन्य तख्तापलट और उसके बाद लोगों पर होने वाली सैन्य कार्रवाई के बाद आया है, जिसके कारण कई लोग भारत में घुस आए।
  • म्याँमार की सेना ने फरवरी 2021 में तख्तापलट करके देश पर कब्ज़ा कर लिया।
  • उत्तर-पूर्वी राज्य सीमा पार से आने वाले लोगों को आसानी से आश्रय प्रदान करते हैं क्योंकि कुछ राज्यों के म्याँमार के सीमावर्ती क्षेत्रों के साथ सांस्कृतिक संबंध हैं और कई लोगों के पारिवारिक संबंध भी हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ राज्यों ने म्याँमार से भागकर आए लोगों के प्रति सहानुभूति जताते हुए उन्हें आश्रय दिया।
  • इन राज्यों में पहले से ही ब्रू जैसी जनजातियों के बीच झड़पें होती रहीं हैं। अतः इस प्रकार के अंतर्वाह से ऐसी घटनाओं में वृद्धि होगी।


हाल का अंतर्वाह:

 

म्याँमार से पुलिसकर्मियों और महिलाओं सहित एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिक पड़ोसी राज्य मिज़ोरम में आए हैं।


भारत-म्याँमार सीमा: 

  • भारत और म्याँमार के बीच 1,643 किलोमीटर (मिज़ोरम 510 किलोमीटर, मणिपुर 398 किलोमीटर, अरुणाचल प्रदेश 520 किलोमीटर और नगालैंड 215 किलोमीटर) की सीमा है तथा दोनों तरफ के लोगों के बीच पारिवारिक संबंध है।
  • म्याँमार के साथ इन चार राज्यों की सीमा बिना बाड़ वाली है।


मुक्त संचरण की व्यवस्था: 

  • भारत और म्याँमार के बीच एक मुक्त संचरण व्यवस्था (Free Movement Regime) मौजूद है।
  • इस व्यवस्था के अंतर्गत पहाड़ी जनजातियों के प्रत्येक सदस्य, जो भारत या म्याँमार का नागरिक है और भारत-म्याँमार सीमा (IMB) के दोनों ओर 16 किमी. के भीतर निवास करते है, एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी सीमा पास (एक वर्ष की वैधता) से सीमा पार कर सकता है तथा प्रति यात्रा के दौरान दो सप्ताह तक यहाँ रह सकता है।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन, 1951

  • यह संयुक्त राष्ट्र (United Nation) की एक बहुपक्षीय संधि है, जिसमें शरणार्थी की परिभाषा, उनके अधिकार तथा हस्ताक्षरकर्त्ता देश की शरणार्थियों के प्रति ज़िम्मेदारियों का भी प्रावधान किया गया है।
  • यह संधि युद्ध अपराधियों, आतंकवाद से जुड़े  व्यक्तियों को शरणार्थी के रूप में मान्यता नहीं देती है।
  • यह संधि जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह से संबद्धता या पृथक  राजनीतिक विचारों के कारण उत्पीड़न तथा अपना देश छोड़ने को मजबूर लोगों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करती है।
  • इसमें कन्वेंशन द्वारा जारी यात्रा दस्तावेज़ धारकों के लिये कुछ वीज़ा मुक्त यात्रा का प्रावधान  किया गया है।
  • यह संधि वर्ष 1948 की मानवाधिकारों पर सार्वभौम घोषणा (UDHR) के अनुच्छेद 14 से प्रेरित है। UDHR किसी अन्य देश में पीड़ित व्यक्ति को शरण मांगने का अधिकार प्रदान करती है।
  • एक शरणार्थी कन्वेंशन में प्रदान किये गए अधिकारों के अलावा संबंधित राज्य में अधिकारों और लाभों को प्राप्त कर सकता है
  • वर्ष 1967 का प्रोटोकॉल सभी देशों के शरणार्थियों को शामिल करता है, इससे पूर्व वर्ष 1951 में की गई संधि सिर्फ यूरोप के शरणार्थियों को ही शामिल करती थी।
  • भारत इस सम्मेलन का सदस्य नहीं है।


राज्य निर्वाचन आयोग नियुक्ति विवाद

 

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में अपने एक निर्णय में कहा है कि नौकरशाहों को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिये, ताकि चुनाव आयुक्त के कार्यालय की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके।


पृष्ठभूमि 

  • सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा बॉम्बे उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध गोवा सरकार द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की जा रही थी।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) को चुनाव कार्यक्रम जारी करने से पूर्व संविधान में निर्धारित जनादेश का पालन करने हेतु स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं करने के लिये फटकार लगाई थी।
  • इसके अलावा उच्च न्यायालय ने गोवा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी की गईं कुछ नगरपालिका चुनाव अधिसूचनाओं पर भी रोक लगा दी थी।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार क्षेत्र महाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव तक विस्तृत है।
  • कार्यवाही के दौरान न्यायालय के संज्ञान में लाया गया कि गोवा राज्य के विधि सचिव को राज्य निर्वाचन आयोग का 'अतिरिक्त प्रभार' सौंपा गया था।

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय 

  • केवल स्वतंत्र व्यक्ति को ही चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, न कि राज्य सरकार के किसी कर्मचारी को।
  • सरकारी कर्मचारियों को चुनाव आयुक्त के रूप में अतिरिक्त प्रभार देना संविधान का उपहास करने जैसा है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकारों को राज्य निर्वाचन आयोग की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कार्यप्रणाली की संवैधानिक योजना का पालन करने का निर्देश दिया।
  • यदि राज्य सरकार के कर्मचारी ऐसा कोई निष्पक्ष कार्यालय (राज्य सरकार के अधीन) ग्रहण करते हैं, तो उन्हें चुनाव आयुक्त पद का कार्यभार संभालने से पूर्व अपने पद से इस्तीफा देना होगा।
  • न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को पूर्णकालिक चुनाव आयुक्त नियुक्त करने का आदेश दिया है, जो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से कार्य करेंगे।
  • राज्य निर्वाचन आयोग (SEC)
  •  
  • राज्य निर्वाचन आयोग को राज्य में स्थानीय निकायों के लिये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित कराने का कार्य सौंपा गया है।
  • अनुच्छेद 243 (K) (1): संविधान के इस अनुच्छेद के मुताबिक, पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों के लिये निर्वाचन नामावली तैयार करने और चुनाव आयोजित करने हेतु अधीक्षण, निर्देशन एवं नियंत्रण संबंधी सभी शक्तियाँ राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होंगी, इसमें राज्यपाल द्वारा नियुक्त राज्य चुनाव आयुक्त भी सम्मिलित हैं।
  • नगरपालिकाओं से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 243(Z)(A) में शामिल हैं।
  • अनुच्छेद 243(K)(2): इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य चुनाव आयुक्त की शक्तियाँ और कार्यकाल को राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार निर्देशित किया जाएगा। अनुच्छेद के मुताबिक, राज्य चुनाव आयुक्त को केवल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के अभियोग की प्रक्रिया का पालन करते हुए हटाया जा सकता है।

सुझाव

दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश 

राज्य निर्वाचन आयोग का गठन: दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) की सिफारिशों के मुताबिक, राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) को एक कॉलेजियम की सिफारिश पर राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाना चाहिये, जिसमें राज्य का मुख्यमंत्री, राज्य विधानसभा का अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष का नेता शामिल होगा।

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और राज्य निर्वाचन आयोगों (SECs) को एक मंच पर लाने के लिये एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिये, जिससे दोनों संस्थाओं के मध्य समन्वय स्थापित किया जा सके, दोनों एक दूसरे के अनुभवों से सीख सकें और संसाधन साझा कर सकें।

चुनाव सुधारों पर विधि आयोग की 255वीं रिपोर्ट

 

विधि आयोग ने चुनाव सुधारों पर अपनी 255वीं रिपोर्ट में अनुच्छेद 324 में एक नया उपखंड जोड़ने की बात कही थी, ताकि लोकसभा/राज्यसभा सचिवालय (अनुच्छेद 98) की तर्ज पर भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को भी एक नया सचिवालय प्रदान किया जा सके।

राज्य निर्वाचन आयोगों की स्वायत्तता सुनिश्चित करने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष स्थानीय निकाय चुनाव के लिये भी इसी तरह के प्रावधान किये जा सकते हैं।


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